श्री कबीर ज्ञान मंदिर में दो दिवसीय अभिर्भाव महोत्सव

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में दो दिवसीय अभिर्भाव महोत्सव
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गिरिडीह

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में निर्माण महोत्सव….

जागो हिंदू जागो* हुआ नाट्य मंचन……

गुरु गोविंद धाम एक जागृत धाम है जहां सच्चे हृदय से की गई प्रार्थना अवश्य फलित होती है……

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में सद्गुरु विवेक साहब निर्वाण महोत्सव का दो दिवसीय कार्यक्रम आज संत कबीर साहब कृत साखीग्रंथ के पाठ से हुआ। इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने अखंड पाठ में भाग लिया। तत्पश्चात सद्गुरु विवेक साहब के पावन समाधि पर चादर अर्पण किया गया। तदुपरांत द्वितीय सत्र का कार्यक्रम आरंभ हुआ जिसमें नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा भाव नृत्य की प्रस्तुति की गई। जागो हिंदू जागो नामक नाटक का मंचन किया गया। कार्यक्रम प्रमुख आकर्षण सद्गुरु मां का दिव्या भजन रहा तत्पश्चात महा आरती और भंडारे के साथ प्रथम दिवस के कार्यक्रम को समापन किया गया।

*जागो हिंदू जागो नाटक का मंचन*

श्री कबीर ज्ञान मंदिर के भाइयों द्वारा ही जागो हिंदू जागो नाटक का मंचन किया गया। नाटक के माध्यम से हिंदू संस्कृति पर मुगल आक्रांताओं का प्रहार, भारत भूमी पर पड़े उनके कलुषित कदम और उनके द्वारा की गई दरिंदगी का दिग्दर्शन कराया गया। जिसमें हिंदुओं की आपसी फूट के कारण हुई पराजय, हमारे अपने लोगों के स्वार्थ के कारण राष्ट्र को हुए अहित और हमारे महान विभूतियां के त्याग का दिग्दर्शन कराया गया। आज हमारे बच्चों को कैसे इतिहास को तोड़ मरोड़ कर दिखाया पढ़ाया जाता है, इसका स्पष्ट दिग्दर्शन नाट्य मंचन के द्वारा किया गया। जहां एक ओर जिस अकबर को अकबर महान की पदवी दी गई है, हिंदू समाज पर उसके अत्याचार, उसकी बर्बरता को दिखाया गया। वहीं दूसरी ओर महाराणा प्रताप के भीषण त्याग को भी दिखाया गया।

गुरु गोविंद धाम मंदिर के स्थापना का वर्षगांठ

श्री कबीर ज्ञान मंदिर परिसर में स्थित गुरु गोविंद धाम मंदिर जहां भगवान नारायण और सदगुरु कबीर का मनोहारी विग्रह अवस्थित है बहुत आकर्षक और भव्य ढंग से सुसज्जित किया गया। बताया गया आज के ही दिन गुरु गोविंद धाम मंदिर का वर्षगांठ है, जिसके 21 वर्ष पूरे हो चुके हैं। सदगुरू मां ज्ञान के गुरु गोविंद धाम की स्थापना के पीछे संदेश दिया कि हमें अपने जीवन में समृद्धि और अध्यात्म दोनों को बराबर का स्थान देना चाहिए। जहां भगवान नारायण समृद्धि के प्रतीक है वही सदगुरु कबीर परम वैराग्य और उच्च अध्यात्मवेत्ता के प्रतीक है।

*सद्गुरु मां का दिव्य उद्बोधन*

उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए सद्गुरु मां ने कहा इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन समाज में नई जागृति लाती है। हमारे समाज के लोग मजबूत हो, हमारा धर्म मजबूत हो, हमारा राष्ट्र मजबूत हो इस निमित्त संत संलग्न रहते हैं। सद्गुरु सतगुरु मां ने कहा कि आज एक दिव्य दिवस है जिसका हम सब साक्षी बन रहे है। सरकार प्रभु अलौकिक संत थे। वे बड़भागी है, जिन्हें जिन्हें उनका सानिध्य मिला है। आज भी उनके उपदेश, उनके बताएं मार्ग पर चलकर मानव महामानव बन सकता है। चिंतित मानव के जीवन में सुख की बयार छा सकती है। हम ईश्वर या संतो को मानते हैं यदि उनके बताएं मार्गों का अनुसरण कर सके, यदि उनके आज्ञाओं का पालन कर सके, तो हम मालामाल हो जाएंगे।

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सद्गुरु मां ने आगे कहा कि कबीर कहते हैं की गुरु ही ब्रह्म है गुरु ही विष्णु है और गुरु ही शिव है। अतः हमेशा गुरु की आज्ञा को नतमस्तक होकर स्वीकार करने में ही हमारा कल्याण है। गुरुभक्ति वह संजीवनी है जो मुर्दे में भी जान डालने की क्षमता रखती है।

*कल के कार्यक्रम की एक झलक*

कल प्रातः 7:00 से ब्रह्मलीन सद्गुरु विवेक साहिब जी महाराज की पावन समाधि का पूजन वंदन किया जाएगा। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के उपस्थित रहने की संभावना है।

इसके पश्चात गीता ज्ञान महान नामक नाटक का मंचन सद्गुरु मां द्वारा रचित श्रीमद् भागवत गीता भाष्य *गीता ज्ञान दर्पण* खंड 8 का लोकार्पण विभिन्न संस्कृति कार्यक्रम भजन संध्या का आयोजन एवं सद्गुरु मां ज्ञान का दिव्य उद्बोधन होगा।

*सदगुरु विवेक साहब एक परिचय……*

ब्रह्मलीन सद्गुरु विवेक साहब महाराज परम वंदनिया सद्गुरु मां ज्ञान के गुरुदेव थे। जो एक दिव्य दृष्टा, त्रिकालदर्शी, संत थे। जिनका जीवन साधन और तपस्या में ही बीता। सहस्त्रधार पर्वत पर उन्होंने लंबी तपस्या की थी। बिहार के बाढ़ आश्रम में उनकी कुटिया थी। तत्पश्चात गिरिडीह के सिरोडीह स्थित श्री कबीर ज्ञान मंदिर में उनका निवास रहा। जहां वर्ष 2000 ईस्वी में उन्होंने अपने पंचभौतिक शरीर का त्याग कर ब्रह्मलीन हुए। श्री कबीर ज्ञान मंदिर में उनके पावन समाधि अवस्थित है, जो आज भी श्रद्धापूरित हृदय के भक्तों का मनोकामना पूर्ण करती है।

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सद्गुरु विवेक साहब को भक्त प्यार से सरकार प्रभु कहते थे। सरकार प्रभु हमेशा कहा करते थे बाबू शरीर से संसार का कर्म करते रहो और मन से राम का सुमिरन करते रहो। बाबू हमारा कर्म ऐसा हो जिससे हमारे अतिरिक्त 10 और लाभान्वित हो सके।

 

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