श्री कबीर ज्ञान मंदिर में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन
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गिरिडीह : श्री कबीर ज्ञान मंदिर में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन विभिन्न संस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुआ। प्रातः सदगुरु विवेक साहब की पावन समाधि के पूजन से कार्यक्रमों का आरंभ हुआ, जिसमें गिरिडीह के अतिरिक्त विभिन्न राज्यों से आए हुए हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में *गीता है महान जगत में* नामक नाट्य मंचन की प्रस्तुति की गई। जिसमें गीता की अनबुझ पहेलियों को बहुत ही मनोहरी रूप से प्रस्तुत किया गया। गीता के मुख्य पात्रों का आधार लेकर आज के समाज को शिक्षा देने के लिए स्वयं सतगुरू मां द्वारा उपदेश किया गया। महात्मा भीष्म आचार्य द्रोण महादानी कर्ण, गदाधारी दुर्योधन अश्वत्थामा महात्मा विदुर का आधार लेकर धर्म की सही व्याख्या और व्यवहारिक जीवन में गीता के महत्व को दर्शाया गया।

*संस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन*

कार्यक्रम में विभिन्न संस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन किया गया इसमें नन्हे मुन्ने बच्चे बच्चियों द्वारा भाव नृत्य की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम में हिंदू जागृति से संबंधित *जागो हिंदू जागो* और *

गीता के ज्ञान को प्रतिष्ठित करने वाली *गीता है महान जगत में* नाट्य मंचन लोगों को खूब आकर्षित किया।

*गीता ज्ञान दर्पण खंड 8 का लोकार्पण…..*

इस अवसर पर सद्गुरु मां द्वारा लिखित श्रीमद् भागवत गीता भाष्य के आठवें खंड *गीता ज्ञान दर्पण* का लोकार्पण किया गया। बताया गया कि सदगुरू मां द्वारा श्रीमद्भागवत गीता पर आठ खंडों में भाष्य लिखा गया है जिसमें कुल 4200 पृष्ठ सम्मिलित है। गीता ज्ञान दर्पण के बहुत ही सरल और सारस भाषा में श्रीमद् भागवत गीता पर लिखी गई भाष्य कि पुस्तक है। सद्गुरु मां ने कहा कि गीता अमृत तत्व से भरा लबालब सरोवर है, जिसमें अवगाहन करने से तीर्थ स्थलों के परिभ्रमण और तीर्थजल में स्थान करने से बढ़कर फल मिलता है। इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगी।

 

कार्यक्रम के आयोजन में गिरिडीह के अतिरिक्त विभिन्न राज्यों बिहार, बंगाल, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, गुजरात से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का आना हुआ है। इस कार्यक्रम में पूर्णिया, भागलपुर व स्थान से संतों का भी आगमन हुआ है।

*सद्गुरु मां का दिव्य उद्बोधन…*

आयोजित कार्यक्रम में सद्गुरु मां ने जन सैलाब को संबोधित करते हुए कहा कि हम सब बड़भागी हैं जिन्हें सरकार प्रभु जैसे संत का सानिध्य प्राप्त हुआ है। मैंने अपने गुरुदेव से क्या पाया यह वाणी का विषय नहीं है। गुरु भक्त वह सहज मार्ग है जिसमें सफर करने से व्यक्ति मालामाल हो सकता है।

सद्गुरु मां ने आगे कहा की बचपन से मुझे भगवान श्री कृष्ण के प्रति असीम प्रेम और भक्ति रही है। ईश्वर की अनुकंपा से मुझे कबीर पंथ में आना हुआ। अपने सनातन धर्म और राष्ट्र की सेवा से बढ़कर मुझे ना ईश्वर ना मोक्ष की अभिलाष है। यदि ईश्वर पुनर्जन्म देना चाहते हो तो उसे सहर्ष स्वीकार किया जाएगा बस इसलिए कि अधिक से अधिक जनकल्याण और राष्ट्र कल्याण का कार्य किया जा सके।

सदगुरु मां ने आगे कहा कि जब तक सनातन धर्म जिंदा है तब तक भारत जिंदा है। भारत की संस्कृति ही विश्व शांति की उद्घोष करती है। इतिहास गवाह है कि जिस जिस देश से सनातन धर्म का छय हुआ है, वहां शांति भी मिटा है सनातन धर्म से विमुख होकर विश्व शांति की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

सद्गुरु मां ने समस्त हिंदू समुदाय को जाति–पाती, धर्म–पंथ, मत–मजहब में नहीं बटकर एकजुट होने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि यह जाति कृत्रिम है, यह मानव की बनाई गई संरचना है। ईश्वर ने हमें सिर्फ मनुष्य बन कर भेजा है। अलग-अलग कर्मों से अलग-अलग जातियों का निर्माण हुआ है। वस्तुतः हमारे पूर्वज एक है। इसका ज्वलंत प्रमाण उन्होंने गोत्र से दिया। सद्गुरु मां ने कहा कि अलग-अलग जातियों के गोत्र मिलते हैं, तात्पर्य कि हमारे पूर्वज एक है।

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